तुम जो रूठे , तो हम मनाएंगे, तुम मिलो तो मुझको !
एक मुद्दत के ग़म मिटायेंगे, तुम मिलो तो मुझको !
प्यार तुमने किया सितम की तरह,
बस निभाते रहे, कसम की तरह ,
कसमें - वादे, सभी निभायेंगे ....! तुम मिलो तो मुझको !
उन फिजाओं की याद आती है ,
आज भी आँख डबडबाती है ,
तुम मिलोगे... तो मुस्कराएँगे ...! तुम मिलो तो मुझको !
एक खामोश झील सा जीकर,
थक गया हूँ मैं दर्द पी-पीकर ,
झील में ...हलचलें जगायेंगे ....! तुम मिलो तो मुझको !
वो दरख्तों की छाँव कहती है ,
बिन तेरे वो उदास रहती है ,
फिर वही सिलसिले चलाएंगे ....! तुम मिलो तो मुझको !
मौत से बस जरा सा, तेज़ चलो,
दो घड़ी पहले , जरा आके मिलो ,
उम्र भर के, गिले मिटायेंगे ! तुम मिलो तो मुझको !
--आनन्द द्विवेदी २२/०१/२०११
आनन्द द्विवेदी जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
तुम जो रूठे , तो हम मनाएंगे, तुम मिलो तो मुझको !
अच्छा गीत है , बधाई और शुभकामनाएं !
शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है ,समय मिले तो आइएगा …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
धन्यवाद राजेंद्र जी , जरूर आऊंगा बंधुवर!
जवाब देंहटाएंएक खामोश झील सा जीकर
जवाब देंहटाएंथक गया हूँ मैं दर्द पी पी कर
झील में हलचलें जगायेंगे ...तुम मिलो तो मुझको
बहुत सुन्दर भावों से सजा सुन्दर गीत !
मन मगन हो गया |
धन्यवाद सुरेन्द्र जी आपके पधारने से मेरा मन मगन हो गया सच कह रहा हूँ.!
जवाब देंहटाएंतुम जो रूठे , तो हम मनाएंगे, तुम मिलो तो मुझको !
जवाब देंहटाएंएक मुद्दत के ग़म मिटायेंगे, तुम मिलो तो मुझको !
आप कोशिश करते रहिये आंनंद जी जरुर मिलेगी ....!!
आपके पधारने का और अनमोल टिप्पड़ी करने से अभिभूत हूँ हीर जी शुक्रिया !!
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