हाय क्या इंकलाब भेजा है |
प्यार में डूबी ग़ज़ल भेजी है
एक प्यारा गुलाब भेजा है !
नींद आँखों से लूटकर उसने
कितना मदहोश ख्वाब भेजा है |
दिन को, खुशबू चमन की भेजी है
रात को, माहताब भेजा है |
राह चलते हिना महकती है
उसने ऐसा शबाब भेजा है |
अपने 'आनंद' के लिए यारों
उसने सब लाज़बाब भेजा है |
आनंद द्विवेदी ०५/०७/२०११