कहाँ लगाऊं अबीर ..
कहाँ से रंगू तुमको
अब मुझसे ..
ये भी नहीं होगा
मेरा संकोच... मेरा दुश्मन बन बैठा है
इससे पहले कि मैं
तुझे आंसुओं से ही नहला दूँ
होली मुबारक हो चितचोर !!
जाओ
बरसानेवाली के रंग में रंगे हो तुम
पहले से ही,
ऐसे में
मैं क्या और मेरा रंग क्या
पर मैं भी ना
सारी उम्र ..ऐसे ही
अबीर लिए
खड़ा रहूँगा
ध्यान रखना
रंगना तुम्हें ही पड़ेगा !
- आनंद