हाल दिल का, वो इशारों से बता देता है,
जब भी मिलता है, बहारों से मिला देता है !
किस नज़र देखता है हाय देखने भर से ,
मेरी नज़रों को नजारों से मिला देता है !
प्यास को, गंगा की धारों से मिला देता है !
जब कभी मुझको वो पाता है जरा भी तनहा,
अपनी यादों के, सहारों से मिला देता है !
कितना भी तेज़ हो तूफान वो मांझी बनकर ,
मेरी कश्ती को, किनारों से मिला देता है !
हाँ ये सच है की खुदा, खुद नहीं करता कुछ भी,
बस वो 'आनंद' को, यारों से मिला देता है !!
-आनंद द्विवेदी २३-०५-२०११