शनिवार, 4 मई 2013

रुअक्कड़

मैंने देखा किसी तस्वीर में
तुमने पहनी है वही  साड़ी  जिसे हमने खरीदा था साथ-साथ
उस दिन तुमने जानबूझकर
सस्ती साड़ी  खरीदी थी न ?
तुम्हारी तस्वीरें रुलाती हैं बहुत
जब भी बातें करता हूँ उनसे
यादें उससे भी ज्यादा
बहुत रोकता हूँ खुद को
मगर अक्सर
इकतरफ़ा बातचीत में
पूछ ही लेता हूँ कि
क्या तुम्हे भी कभी
मेरी याद आती है  ?

और तभी उतारता  हूँ आँखों पर से चश्मा
निकलता हूँ जेब से रुमाल
और हँस पड़ता हूँ  याद करके
तुम्हारा दिया हुआ नाम 'रुअक्कड़'
तुम्हें रोना पसंद नहीं 
मैं कुछ भी तो तुम्हारी पसंद का नहीं कर पाता

यकीन करो मैं हँसता हूँ 
कभी कभी
जब मैं बहुत बेबस होता हूँ तब !

 - आनंद