कितना फिरदौस ये सफ़र होता !
आपका प्यार जो पाया होता ,
मुझे पहचानता शहर होता !
तेरे सीने में अगर दिल होता,
मेरी आवाज का असर होता!
आते-जाते नजर मिला करती,
तेरे कूचे में अगर घर होता !
आपकी जुल्फ का हंसी मंज़र ,
काश ये ख्वाब बेनज़र होता !
सोंचता हूँ जो आप न होते,
आज 'आनंद' दर-ब-दर होता !!
--आनंद द्विवेदी
२७/१२/२०१०