गाँव में जब तक रहा ...होली के एक महीने पहले से ही फाग शुरू हो जाता था ...गाँव में कई मंडलियाँ होती थी ...फाग गाने वाली !! मैं अक्सर गाने के साथ ढोलक भी बजाया करता था ....बहुत सरे गीत जुबानी याद थे........अब होली आते ही....मन वही सब ढूँढने लगता है....अब इसको कौन समझाए कि ......खैर मुझे कुछ गीत अभी भी आधे अधूरे याद हैं...मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ.....जो लोग लोकसंस्कृति से जुड़े हैं ...वो शायद मुझे बेहतर समझ सकेंगे !!..
वृन्दावन बेली चंपा चमेली गरुदावाली गुलाबों में
गेंदा, गुल मेहदी, गुलाबास , गुलखैरा फूल हजारों में
कदली, कदम्ब, अमरुद तूत फूले 'रसाल' सब साखन मा
भंवरा गुलज़ार विहार करैं रस लेहें फूल फल पातन मा
मन बसे म्वार वृन्दावन मा
वृन्दावन की बन बागन मा लटकैं झटकें फल लागत दाक छुहारन मा
फूली फुलवारी लौंग सुपारी व्यापारी व्यापारन मा
मालिन के लड़के तोड़ें तड़के बेचें हाट बजारन मा
सौदा कर ले सुख श्याम सुंदरी जौन होय जाके मन मा !!
मन बसे म्वार वृन्दावन मा
मोहि नीका भला मोहि नीका मोहि नीका न लागे गोकुल मा
मन बसे म्वार वृन्दावन मा !!
फाग इस प्रकार है
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मोहि नीका न लागे गोकुल मा
मन बसे म्वार वृन्दावन मा !!
गेंदा, गुल मेहदी, गुलाबास , गुलखैरा फूल हजारों में
कदली, कदम्ब, अमरुद तूत फूले 'रसाल' सब साखन मा
भंवरा गुलज़ार विहार करैं रस लेहें फूल फल पातन मा
मन बसे म्वार वृन्दावन मा
वृन्दावन की बन बागन मा लटकैं झटकें फल लागत दाक छुहारन मा
फूली फुलवारी लौंग सुपारी व्यापारी व्यापारन मा
मालिन के लड़के तोड़ें तड़के बेचें हाट बजारन मा
सौदा कर ले सुख श्याम सुंदरी जौन होय जाके मन मा !!
मन बसे म्वार वृन्दावन मा
मोहि नीका भला मोहि नीका मोहि नीका न लागे गोकुल मा
मन बसे म्वार वृन्दावन मा !!