जन्म दिन के बहाने
कान्हा !
मथुरा नहीं गया आज मैं ...
इधर नंद गांव में आगया
सारे जीवन उस भूमि की तरफ पांव नहीं किया
जहाँ संघर्ष का अंदेशा हो
बचाते रहे हमेशा किसी न किसी तरह ...जिलाए रखा आपने
नंद बाबा के द्वारे कतार में खड़ा है
एक मंगता
आम तौर पर उपहार देने की परंपरा है जन्मदिन पर
सुदामा के बारे में सुना भी है ...
पर नहीं है
पर नहीं है
भाव का मुट्ठी भर तंदुल भी,
देना सीखा होता तो जरूर देता कोई न कोई उपहार
काश अहं दे पाता ... आपको भी अच्छा लगता
पर मंगता प्रवत्ति से मजबूर हूँ आज भी
समय के साथ कुछ सयाना भी हो गया हूँ
आपको माँगूँगा एक दिन
आपसे ही !
माधव !
मन करता है कि आपसे प्रेम हो जाए
बहुत सुना है इस प्रेम के बारे में
कभी जाना नहीं
लोग कहते हैं कि
खुद को मिटाना पड़ता है
आग़ में जलना पड़ता है
'खुसरो दरिया प्रेम का' और 'रहिमन प्रेम तुरंग चढ़ी'
और भी जाने क्या क्या
आपको लगता है
मुझसे कुछ हो पायेगा ?
एक बार आप ट्राई करो न
अब नहीं सहा जाता माधव
अब नहीं रहा जाता रे...छलिया !
खैर
मेनी मेनी रिटर्न्स ऑफ द डे
जन्मदिन मुबारक हो !
१०-९-२०१२