शनिवार, 19 मार्च 2016

जिंदगी देख तो ..

जिंदगी देख तो हम क्या कमाल कर बैठे
इश्क़ की राह में  तुझको हलाल कर बैठे

आदतें यार की ऐसी थीं कि मैं तनहा लगूँ
समझ न पाये और हम मलाल कर बैठे

जिनको दरकार थी हम हाथ उठाये रक्खें
उन्हीं से आँख मिलाकर सवाल कर बैठे

दर्द रिसता रहे  अंदर तो प्रेम सिंचता है
लबों को खोल के नाहक बवाल कर बैठे

ये लौंडपन की सनक थी कि ग़ज़ल गायेंगे
दिलों के ज़ख्म को दुनिया का हाल कर बैठे

हम तो आज़ाद हैं इतने कि मुल्क ठेंगे पर
मुद्दआ कोई हो, हम भात- दाल कर बैठे

कर न पाई जो काम दुश्मनों की फौजें भी
सभी वो काम यहीं के  दलाल कर बैठे

गुरूर मिट गया, आनंद हो गयी दुनिया
जरा सी बात से, जीवन निहाल कर बैठे

- आनंद



गुरुवार, 10 मार्च 2016

हमारा हाल भी अब ...

हमारा हाल भी अब और ही सुनाये  मुझे
सितम करे तो कोई इस तरह सताए मुझे

न जाने कौन सा ये श्राप है दुर्वासा का
शहर से मेरे वो गुजरे तो भूल जाए मुझे

दर्द की बात पुरानी हुई दुनिया वालों
अब वो रूठे तो बड़ी  देर तक हँसाये मुझे

मैं उसका अपना हूँ अक्सर वो बोल देता है
मगर ये बात वो होठों से न बताये  मुझे 

ज़िंदगी गर कोई मंज़िल है तो मिल जाएगी
हर कदम आज भी चलना वही सिखाये मुझे

अब तो आनंद भी खामोशियों में बजता है
उसी का गीत हूँ वो जैसे गुनगुनाये मुझे  !

- आनंद