सच्ची प्रीति निभाए कौन
खुद को आप मिटाए कौन
दिल का दर्द बताये कौन
अपने ज़ख्म दिखाए कौन
उनके ही इतने ग़म हैं
अपनी बात चलाए कौन
जाने वाले चले गए
पर मन को समझाए कौन
ऊँचे भाव झूठ के हैं
सच का घाटा खाए कौन
ये बहरों की बस्ती है
निर्गुन किसे सुनाये कौन
अंदर बाहर तू ही तू
ऐसे में घर आए कौन
रूह बदन की क़ैदी है
देश पिया के जाए कौन
मैं भी कुंदन हो जाऊँ
ऐसी आग लगाए कौन
और न कुछ भी चाह रहे
वो 'आनंद' जगाये कौन
- आनंद
खुद को आप मिटाए कौन
दिल का दर्द बताये कौन
अपने ज़ख्म दिखाए कौन
उनके ही इतने ग़म हैं
अपनी बात चलाए कौन
जाने वाले चले गए
पर मन को समझाए कौन
ऊँचे भाव झूठ के हैं
सच का घाटा खाए कौन
ये बहरों की बस्ती है
निर्गुन किसे सुनाये कौन
अंदर बाहर तू ही तू
ऐसे में घर आए कौन
रूह बदन की क़ैदी है
देश पिया के जाए कौन
मैं भी कुंदन हो जाऊँ
ऐसी आग लगाए कौन
और न कुछ भी चाह रहे
वो 'आनंद' जगाये कौन
- आनंद