हुई बहुत ये दुनियादारी, तौबा तौबा
सपने उनके आँख हमारी तौबा तौबा
राजनीति बन गयी गिरोहों का अड्डा
लूट रहा है जिसकी बारी, तौबा तौबा
देश- देश चिल्लाने वालों के दिल में
मज़हब हुआ वतन से भारी तौबा तौबा
मंदिर मस्ज़िद प्रेम नहीं फैलाते अब
नफरत के हैं कारोबारी तौबा तौबा
आधा पेट भरा बच्चों का जैसे तैसे
भूखी ही सोयी महतारी तौबा तौबा
बच्चों की आँखों के सपने पूछेँगे
मेरी क्या थी जिम्मेदारी तौबा तौबा
अपना ही 'आनंद' तलाशा अब तक तो
अबतक हमने घास उखारी तौबा तौबा
-आनंद