उससे अपने अंदर जैसा रिश्ता है
कोई बूँद-समंदर जैसा रिश्ता है
खिल उठता है जीवन हर दुश्वारी में
शायद वर्षा-बंजर जैसा रिश्ता है
वो ज़ख़्मों का बायस भी है, मरहम भी
कैसा मस्त कलंदर जैसा रिश्ता है
हम भी दुनिया के पापों में शामिल हैं
गाँधी जी के बंदर जैसा रिश्ता है
सपनों का 'आनंद', जगत की सच्चाई
एकदम छाती-खंज़र जैसा रिश्ता है
- आनंद
कोई बूँद-समंदर जैसा रिश्ता है
खिल उठता है जीवन हर दुश्वारी में
शायद वर्षा-बंजर जैसा रिश्ता है
वो ज़ख़्मों का बायस भी है, मरहम भी
कैसा मस्त कलंदर जैसा रिश्ता है
हम भी दुनिया के पापों में शामिल हैं
गाँधी जी के बंदर जैसा रिश्ता है
सपनों का 'आनंद', जगत की सच्चाई
एकदम छाती-खंज़र जैसा रिश्ता है
- आनंद