मुझसे तो खैर होश में आया ना जायेगा
उनसे भी मेरा प्यार छुपाया ना जायेगा
चेहरा मेरा किताब है पढ़ लेना इसे तुम
मुझसे यूँ हाले दिल तो बताया न जाएगा
तुम आ गये जो याद तो जलते ही रहेंगे
मुझसे कोई चिराग बुझाया ना जाएगा
इस बार गर मिलो तो जरा एहतियात से
अब जख्म नया मुझसे भी खाया न जाएगा
सपना नहीं किसी का इक बूँद अश्क हूँ मैं
नज़रों से गिर गया तो उठाया न जाएगा
खामोश हसरतें हैं, कि तू कह दे इक दफा
गैरों को कभी बीच में लाया न जाएगा
जालिम सितम किये जा, पर ये भी ख्याल रख़
'आनंद' मिट गया तो बनाया न जाएगा
-आनंद द्विवेदी ४/०८/२०११