बुधवार, 13 मार्च 2019

बट्टा खाता

(१)

बचपन की हर जगह पर
हर राह
हर गली, नुक्कड़, नहर की पुलिया
बाज़ार
हर जगह ठिठकी खड़ी होती है एक याद
और लोग कहते हैं कि
दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है !

(२)

यूँ तो सब भागदौड़ में शामिल हैं
पर
सबसे ज्यादा जल्दी है
गाँवों को
शहर बन जाने की !

(३)

बिना जमा निकासी के 'बंद खाते'
जैसी होती हैं यादें
और हम कहते हैं कि
यादें हमारी जमापूँजी हैं
हमने अपनी तमाम पूँजी
बट्टे खाते में डाल दी है !

©आनंद