न दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
ख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
हर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !
पत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो ,
वो भाव ही लिक्खूंगा , वही प्यार लिखूंगा !
दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
गर नाम भी लूँगा, तो 'यादगार' लिखूंगा !
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !
--आनंद द्विवेदी , २३-०४-२०११