मैं ज़ख्म ज़ख्म हूँ लेकिन दवा भी लाया हूँ
घुटन के बीच में ताज़ी हवा भी लाया हूँ
वो राहगीर जो तनहा चले हैं मंजिल को
उन्ही के वास्ते दिल की दुआ भी लाया हूँ
मिजाज़ सारे पता थे मुझे चौराहों के
बहस के वास्ते इक मुद्दआ भी लाया हूँ
तेरे गुरूर को शाबासियाँ हैं जी भर के
मुझे पसंद थी, थोड़ी हया भी लाया हूँ
तेरी हिकारतें ही अब नसीब हैं जिसका
मैं उसी शख्स की गूँगी सदा भी लाया हूँ
- आनंद