तुम जो रूठे , तो हम मनाएंगे, तुम मिलो तो मुझको !
एक मुद्दत के ग़म मिटायेंगे, तुम मिलो तो मुझको !
प्यार तुमने किया सितम की तरह,
बस निभाते रहे, कसम की तरह ,
कसमें - वादे, सभी निभायेंगे ....! तुम मिलो तो मुझको !
उन फिजाओं की याद आती है ,
आज भी आँख डबडबाती है ,
तुम मिलोगे... तो मुस्कराएँगे ...! तुम मिलो तो मुझको !
एक खामोश झील सा जीकर,
थक गया हूँ मैं दर्द पी-पीकर ,
झील में ...हलचलें जगायेंगे ....! तुम मिलो तो मुझको !
वो दरख्तों की छाँव कहती है ,
बिन तेरे वो उदास रहती है ,
फिर वही सिलसिले चलाएंगे ....! तुम मिलो तो मुझको !
मौत से बस जरा सा, तेज़ चलो,
दो घड़ी पहले , जरा आके मिलो ,
उम्र भर के, गिले मिटायेंगे ! तुम मिलो तो मुझको !
--आनन्द द्विवेदी २२/०१/२०११