आँसुओं की झील में ही प्यास को जीते चलें
सैकड़ों की भीड़ में वनवास को जीते चलें
जब बनेगी तब बनेगी बात मंजिल से, अभी
राह के हाथों मिले संत्रास को जीते चलें
हो गयीं हदबंदियाँ अब दोस्ती में प्रेम में
इस नदी में बाँध के अहसास को जीते चलें
काम आएँगी यही बेचैनियाँ, एकान्त में
जब तलक है, साथ के आभास को जीते चलें
हाथ में पकड़ा रहा है वक़्त, जीने के लिए
एक झूठी आस, लेकिन आस को जीते चलें
- आनंद
सैकड़ों की भीड़ में वनवास को जीते चलें
जब बनेगी तब बनेगी बात मंजिल से, अभी
राह के हाथों मिले संत्रास को जीते चलें
हो गयीं हदबंदियाँ अब दोस्ती में प्रेम में
इस नदी में बाँध के अहसास को जीते चलें
काम आएँगी यही बेचैनियाँ, एकान्त में
जब तलक है, साथ के आभास को जीते चलें
हाथ में पकड़ा रहा है वक़्त, जीने के लिए
एक झूठी आस, लेकिन आस को जीते चलें
- आनंद