मंगलवार, 1 मार्च 2011

एक मित्र के जन्मदिन पर !


जीवन का एक और बसंत बीत गया
बसंत ऋतु के इस बासंतिक  जन्म दिन पर
अनुराग मिश्रित 
शुभकामनायें !
कामना विराट को छूने की 
कामना विराट होने की ...
विराट के सृजन की,
अपरिहार्य नहीं है गगन होना
पर गगन को 
छूने की कोशिश अपरिहार्य है,
कामना है नव सृजन की
पर पूर्व सृजन को सहेजने की अभिलाषा भी 
उतनी ही उत्कृष्ट है,
कामना है तुम्हारे निर्णय कालजयी हों
कंटक विहीन पथ हो,
श्रम हो,  .... पर संधि न हो
सम्मान हो पर मृदुलता भी हो
गर्व हो पर दर्प न हो !
इच्छित प्राप्त करो पर इच्छाएं नियंत्रित हों
भोग करो पर किसी का 'भाग' हरण मत करो
असीम बनो पर
सीमाओं का मान करो ,
सब की पहचान बनो..पर
सबको पहचानो भी
ऐसी ही है ऊटपटांग मेरी शुभकामना आपके जन्मदिन पर
आपके एक नूतन जन्म की 
अस्तु !

       --आनंद द्विवेदी ०१/०३/२०११