सोमवार, 21 मार्च 2011

खुद जली, दिल जला गयी होली



फिर अदावत निभा गयी होली ,
खुद जली, दिल जला गयी होली !

रंग बरसा न फुहारें बरसीं ,
टीस मन में जगा गयी होली !

दर्द के श्याम, पीर की राधा,  
रंग ऐसा दिखा गयी होली  !

राह तकता रहा अबीर लिए ,
वो न आये, क्यूँ  आ गयी होली ?

उम्र भर तुम भी जलो, मेरी तरह 
बोलकर यह  सजा गयी होली !

वाह 'आनंद' की किस्मत देखो ,
दर्द को कर दवा गयी,  होली  !!

      --आनंद द्विवेदी