तू है ख़ुदा, तो कर ये एहतराम के लिए
थोड़ा सा दर्द भेज, आज शाम के लिए
जो रिंद कभी होश में आया न उम्र भर
उसको न रोक यार, एक ज़ाम के लिए
इतनी न दिखा मुझपे सितमगर इनायतें
तू ही बहुत है, हसरते-नाकाम के लिए
मुंसिफ़ है तू, गवाह भी है, मुद्दयी भी है
हाज़िर है गुनहगार भी इल्ज़ाम के लिए
आनंद ! कभी जिंदगी से पूछ भी तो ले
है नाम के लिए या किसी काम के लिए
- आनंद