शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

मैं यही सोंचकर बाज़ार तक आ पहुंचा हूँ







बदगुमानी है, या ऐतबार तक आ पहुंचा हूँ,
जो भी हो आपके दरबार  तक आ पहुंचा हूँ

आज भी, उसको खिलौने पसंद हों शायद 
मैं यही सोंचकर बाज़ार तक आ पहुंचा हूँ 

जिसको देखो वो यहाँ  बेखुदी में लगता है  
मैं भी शायद दरे-सरकार तक आ पहुंचा हूँ 

मुझको मांझी का पता था न खबर मौजों की 
हौसला देखिये, मझधार  तक आ पहुंचा हूँ

मैं उसे खोजने  निकला था सितारों कि तरफ
खोजता खोजता संसार तक आ पहुंचा हूँ 

जबसे 'आनंद' के  हालात  नज़र से देखे
दिल्लगी!  मैं  तेरे इंकार तक आ पहुंचा हूँ

-आनंद द्विवेदी १२-०१-२०१२