मन करता है नाचने का
पाकर तुम्हारी आहट,
मुरझा जाता है मन
जरा ही देर में
तुम्हारे ओझल होते ही,
पाकर तुम्हारी आहट,
मुरझा जाता है मन
जरा ही देर में
तुम्हारे ओझल होते ही,
तुम कहते हो
मैं एक सा क्यों नहीं रहता हमेशा,
मैं एक सा क्यों नहीं रहता हमेशा,
मैं कहता हूँ
तुम पास क्यों नहीं रहते हमेशा,
हमेशा ही घटती-बढ़ती धडकनों के बीच
कोई कैसे रहे
एक सा !
- आनंद