सब्जबागों को अपने मन में सजाये रखिये,
लोग उकता गए, माहौल बनाये रखिये !
सच तो ये है कि खोखले हैं सभी आतिशदान,
रोशनी होगी ही कुछ, दिल को जलाये रखिये !
आज चौराहे पर छाया है, गज़ब सन्नाटा ,
द्रोपदी लुट रही, सर अपना झुकाए रखिये !
आज हर चाँद, हमें दागदार लगता है,
पाप को पाक लिबासों में छिपाए रखिये!
बड़ों कि गन्दगी दौलत में छिप गयी यारों,
'वो' बड़े हैं, दुआ - सलाम बनाये रखिये !
बच्चियां, घर से निकलने मे सहम जाती हैं,
आप कहते हो, एहतराम बनाये रखिये ??
मत सुनो मत सुनो, 'आनंद' की बातें लेकिन,
यारों, इंसान को इंसान बनाये रखिये !!
--आनन्द द्विवेदी १५-०१-२०११