झूठ या सच राम जानें, मुस्कराना आ गया
ज़िन्दगी आखिर तेरा हर ग़म उठाना आ गया
ज़िन्दगी आखिर तेरा हर ग़म उठाना आ गया
कौन हो-हल्ला करे किसको पुकारे साथ को
अब मुझे तनहाइयों से घर सजाना आ गया
अब मुझे तनहाइयों से घर सजाना आ गया
इसमें रत्ती भर हमारे यार की गलती नहीं
अपनी उम्मीदें ही बैरी थीं, मिटाना आ गया
अपनी उम्मीदें ही बैरी थीं, मिटाना आ गया
आज भी आँखें छलक आयीं किसी के नाम से
मैने समझा था मुझे सबकुछ भुलाना आ गया
मैने समझा था मुझे सबकुछ भुलाना आ गया
शोखि़यों के ज़िक्र से अब भी बहक सकता हूँ मैं
फ़र्क इतना है बहक कर होश आना आ गया
फ़र्क इतना है बहक कर होश आना आ गया
आजकल सुर्खाब के पर लग गये हैं देश को
तन्त्र को अब लोक की भेड़ें चराना आ गया
तन्त्र को अब लोक की भेड़ें चराना आ गया
शायरों में भी सियासत की कदर बढ़ने लगी
अब मुखौटे शायरी को भी लगाना आ गया
अब मुखौटे शायरी को भी लगाना आ गया
प्यार के दो बोल सुनने को तरसता उम्र भर
जब चला 'आनंद' मातम को जमाना आ गया
जब चला 'आनंद' मातम को जमाना आ गया
- आनंद