आँखों में एक किर्च सी अक्सर गड़ी रही
ख्वाबों से हकीक़त ही हमेशा बड़ी रही
मैं मौत से भी अपने तजुर्बे न कह सका
लछमन की तरह सर की तरफ वो खड़ी रही
इस जिंदगी ने इतना तवज्जो दिया मुझे
हरदम मेरे सुकून के पीछे पड़ी रही
आज़ाद इश्क़ ने तो मुझे भी किया मियाँ
पर रूह मिरी क़ैद की खातिर अड़ी रही
अगले जनम में देखने की बात हुई है
'आनंद' तुझे बेवजह जल्दी बड़ी रही
- आनंद
ख्वाबों से हकीक़त ही हमेशा बड़ी रही
मैं मौत से भी अपने तजुर्बे न कह सका
लछमन की तरह सर की तरफ वो खड़ी रही
इस जिंदगी ने इतना तवज्जो दिया मुझे
हरदम मेरे सुकून के पीछे पड़ी रही
आज़ाद इश्क़ ने तो मुझे भी किया मियाँ
पर रूह मिरी क़ैद की खातिर अड़ी रही
अगले जनम में देखने की बात हुई है
'आनंद' तुझे बेवजह जल्दी बड़ी रही
- आनंद