तेरी राहों में कभी था जो उज़ालों की तरह
हाल उसका भी हुआ चाहने वालों की तरह
उम्र भर याद तो आया वो किसी को लेकिन
या हवालों की तरह या तो सवालों की तरह
जरा भी जोर से रखा तो टूट जाएगा
दिले नाशाद हुआ चाय के प्यालों की तरह
बहुत गरीब हैं साहब , मगर कहाँ जाएँ
मुल्क को हम भी जरूरी हैं घोटालों की तरह
जब तरक्की के लिये बैठकों का दौर चला
जिक्र गाँवों का हुआ नेक खयालों की तरह
किस से उम्मीद करें, साफ़ बात कहने की
आज अख़बार भी लगते हैं दलालों की तरह
-आनंद
१३-०९-२०१२
हाल उसका भी हुआ चाहने वालों की तरह
उम्र भर याद तो आया वो किसी को लेकिन
या हवालों की तरह या तो सवालों की तरह
जरा भी जोर से रखा तो टूट जाएगा
दिले नाशाद हुआ चाय के प्यालों की तरह
बहुत गरीब हैं साहब , मगर कहाँ जाएँ
मुल्क को हम भी जरूरी हैं घोटालों की तरह
जब तरक्की के लिये बैठकों का दौर चला
जिक्र गाँवों का हुआ नेक खयालों की तरह
किस से उम्मीद करें, साफ़ बात कहने की
आज अख़बार भी लगते हैं दलालों की तरह
-आनंद
१३-०९-२०१२