गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

सपना

छोड़ दूँ
एक ख़ुशबू
तुम्हारे आसपास
एक भरोसा
तुम्हारे भीतर
एक साथ
तुम्हारे अहसासों में
एक गुनगुनाहट
तुम्हारे जीवन में
एक सपना
तुम्हारी आँख में
एक टीस
तुम्हारे एकांत में

फिर चला जाऊँगा
जितनी दूर तुम कहोगी
उतनी दूर
तुम से
जीवन से ...
तब तक देखने दो मेरी
अंधेरे की अभ्यस्त आँखों को
रोशनी का एक सपना
एक सपना
किसी के साथ का !

- आनंद

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ! बहुत कोमल भाव !
    पर रोशनी का सपना एक बार देखने के बाद आना जाना सब छुट जाता है..

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  2. बहुत संवेदनशील प्रस्तुति

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