(१)
बचपन की हर जगह पर
हर राह
हर गली, नुक्कड़, नहर की पुलिया
बाज़ार
हर जगह ठिठकी खड़ी होती है एक याद
और लोग कहते हैं कि
दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है !
(२)
यूँ तो सब भागदौड़ में शामिल हैं
पर
सबसे ज्यादा जल्दी है
गाँवों को
शहर बन जाने की !
(३)
बिना जमा निकासी के 'बंद खाते'
जैसी होती हैं यादें
और हम कहते हैं कि
यादें हमारी जमापूँजी हैं
हमने अपनी तमाम पूँजी
बट्टे खाते में डाल दी है !
©आनंद
यादें तो यादें ही होती हैं। चाहे वो जीवंत हों या नहीं।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
सुंदर क्षणिकायें
जवाब देंहटाएं