शनिवार, 18 जनवरी 2020

जो होता है होने दो

जिसकी चादर दाग़दार है उसको अपनी धोने दो
कब तक सर पटकोगे बाबा जो होता है होने दो

हिंसा आगजनी धरनों या लिचिंग फिचिंग पर बोले तो
आँखों में खटकोगे बाबा, जो होता है होने दो

नेता अफ़सर संघी वामी सभी देश के सेवक हैं
कहाँ कहाँ अटकोगे बाबा जो होता है होने दो

सबकी आदत पड़ जाती है सबको जीना पड़ता है
तुम कब तक मटकोगे बाबा जो होता है होने दो

इसके भाषण उसकी गाली, उसकी गुण्डागर्दी पर
तुम भी सर झटकोगे बाबा, जो होता है होने दो

दूर दूर से ट्वीट करोगे चिंता में घुल जाओगे
पास नहीं फटकोगे बाबा, जो होता है होने दो

जीवन का 'आनंद' ढूँढते सत्ता के संघर्षों में
तुम उल्टा लटकोगे बाबा जो होता है होने दो ।

© आनंद

सोमवार, 6 जनवरी 2020

कहीं कुछ ठहरा है

सहरा में है शहर, शहर में सहरा है
भाग-दौड़ के बीच कहीं कुछ ठहरा है

इश्क़ निठल्लों के बस का है खेल नहीं
किस्सागोई नहीं, रोग ये गहरा है

वो आँखों ही आँखों में कुछ बोले हैं
उनकी भाषा है और मेरा ककहरा है

एक बार हमने भी पीकर देखा था
वर्षों गुज़रे नशा अभी तक ठहरा है

हम भी वैसे हैं जैसी ये दुनिया है
मुझ पर शायद रंग कुछ ज्यादा गहरा है

कुछ दस्तूर ज़माने के जस के तस हैं
मोहरें लुटती हैं, कोयले पर पहरा है

सब अपने हैं साहब किसको क्या बोलें
ये 'आनंद' समझिये, गूँगा बहरा है।

© आनंद