सोमवार, 23 मई 2011

मोह न मोहन ....!



रात में ३.४५  बजे के आसपास एक गाड़ी ब्रजमंडल से होकर गुजरती है मथुरा आने वाला है ...देह साधती है ब्रज भूमि को और मन साधता है उस सांवरे की यादों को...जिसने निमिष मात्र में ही जीवन बदल दिया, भर दिया मेरे अणु अणु को प्रकाश से .....!
राधा माधव  ... माधव राधाकिसी भी नाम से बुला लो दोनों चितचोर दोनों रसिया क्यों की दोनों दो नहीं एक ही हैं  ....




तन राधा के रंग रंगा, मन वृन्दावन धाम !
एक रात मैं क्या रुका, बरसाना के ग्राम  !!

साँस साँस चन्दन हुई, धड़कन हुई अधीर !
जब से मन में बस गयी, बृज बनिता की पीर !!

एक बूँद ने कर दिया, जीवन में यह फर्क  !
झूठे सब लगने लगे, उद्धव जी के तर्क  !!

व्याकुलता पूजा  हुई, श्रद्धा हो गयी प्यास !
जाने जीवन को मिला, ये कैसा मधुमास  !!

धड़कन यमुना तट हुयी, दिल कदम्ब की डार !
सारे तन में हो गया,    कान्हा का विस्तार  !!