मंगलवार, 9 अगस्त 2011

कितनी मुश्किल से मिला है यार का कूचा मुझे



यार की महफ़िल है यारों राज़ की बातें करो
ऐसे मौकों पर निगाहे नाज़ की बातें करो

कितनी मुश्किल से मिला है यार का कूचा मुझे
भूल कर अंजाम, बस आगाज़ की बातें करों

मुझको आदत पड़ गयी है आसमां की ,चाँद की
पंख की बातें करो , परवाज़ की बातें करो

डूब जाओ इश्क में तुम, भूल कर दुनिया के गम
हुस्न की बातें करो , अंदाज़ की बातें करों

ज़िन्दगी को गीत जैसा , गुनगुनाना हो अगर
साज़-ए-दिल पर बज उठी आवाज़ की बातें करो

आज कल 'आनंद' को कुछ तो हुआ है दोस्तों
आँख भर आती है गर हमराज़ की बातें करो

   -आनंद द्विवेदी ०३-०८-२०११