मंगलवार, 14 जुलाई 2015

दुनिया मन का खेल है ... दोहे !

दुनिया मन का खेल है, मनवा रहा खेलाय
मन पाये बौराय जग, मन मारे  चिल्लाय

तूने देखा जगत को केवल स्याह सफ़ेद
इन दोनों के बीच में, छुपा प्रेम का भेद

जीवन तेरी राह में, थोथा दिया गँवाय
हरदम तेरे सूप ने मुझको दिया उड़ाय

चोट्टी यादें रोक लें कुछ ना कुछ अहसास
संबंधों का  खात्मा,  है  कोरी  बकवास

होना न होना तेरा, फ़र्क़ रहा क्या खास
जैसी दुपहर जेठ की वैसा ही मधुमास

आते जाते राह में राही मिलें अनेक
सबको दुआ-सलाम कर राह आपनी देख

- आनंद