रविवार, 22 सितंबर 2013

दर्द को मेहमानखाने से हटाकर रख दिया

दर्द को मेहमानखाने से हटाकर रख दिया
फिर वहीँ हंसती हुई फ़ोटो मढ़ाकर रख दिया

रख दिया अलमारियों में बंद करके रतजगे
और टूटे ख्वाब के टुकड़े उठाकर  रख दिया

आ गया था दिल किसी मगरूर क़दमों के तले
आदतन उसने जरा खेला  मिटाकर रख दिया

कुछ तसव्वुर जिंदगी भर साथ रहने थे मगर
मैंने हर तस्वीर एल्बम में लगाकर रख दिया

जब  कभी तारीकियाँ होंगी  जला लेगा  मुझे
रोशनी थी इसलिए शायद बुझाकर रख दिया

घूम आया हर गली 'आनंद' जिसके वास्ते
जिंदगी ने वो हसीं लम्हा छुपाकर रख दिया

_ आनंद