सोमवार, 30 मई 2016

सुन जीवन !

अलग अलग है तेरी हर इक धुन जीवन
कभी  गौर से तू भी इसको सुन जीवन

कहीं उदासी, ख़ामोशी, कोहराम कहीं
कहीं बज रहा तू रुनझुन-रुनझुन जीवन

दीवारों पर लिखी इबारत भी पढ़ ले
मत बुन अब, झूठे सपने, मत बुन जीवन

किसने तुझको पीर दिया क्या ज़ख़्म दिये
ऐसी बातों को मन में मत गुन जीवन

किसे पुकारे इस बेगानी बस्ती में
पत्थर के  हैं तेरे साजन सुन जीवन

या आनंद खोज ले या दुनिया ले ले
पारस छोड़ कोयले को मत चुन जीवन 

- आनंद

शनिवार, 28 मई 2016

ख़ार तो खुद ही मिले

ख़ार तो खुद ही मिले, गुल बुलाने से मिले
आपके  शहर के धोखे भी सुहाने से मिले

मुस्कराहट को लिए ग़म खड़े थे राहों में
अज़ब  फ़रेब तेरा नाम बताने से मिले

रात भर आपके अहसास ने जिंदा रक्खा
ये तज़ुर्बे भी मुझे नींद न आने से मिले

दिन महक़ उठता है मेरा जो दीद हो उसकी
उसे सुकून मेरे दिल को दुखाने से मिले

आपकी बज़्म है दिल है ख़ुशी है रौनक है
कहीं सुकून के दो पल भी चुराने से मिले

मैंने 'आनंद' की सोहबत में ग़म उठाये हैं
हमें जो  दर्द मिले वो भी बहाने से मिले

- आनंद