तेरा दर्द सुख़न कर बैठा
मैं खुद को निर्धन कर बैठा
तेरा साथ खैर क्या मिलता
मैं खुद को दुश्मन कर बैठा
अमृत के किस्सों में पड़कर
मैं तो गरल वरण कर बैठा
ऐ दिल अब नुक्ताचीनी क्यों
जब खुद को अर्पण कर बैठा
पत्थर नहीं पिघलने वाले
मैं भी लाख जतन कर बैठा
'असल' दर्द का वापस दुनिया
थोड़ा सूद ग़बन कर बैठा
दर्द न देखा गया यार से
मुझको जिला-वतन कर बैठा
जाने किस सुख की चाहत में
मैं आनंद हवन कर बैठा
- आनंद
मैं खुद को निर्धन कर बैठा
तेरा साथ खैर क्या मिलता
मैं खुद को दुश्मन कर बैठा
अमृत के किस्सों में पड़कर
मैं तो गरल वरण कर बैठा
ऐ दिल अब नुक्ताचीनी क्यों
जब खुद को अर्पण कर बैठा
पत्थर नहीं पिघलने वाले
मैं भी लाख जतन कर बैठा
'असल' दर्द का वापस दुनिया
थोड़ा सूद ग़बन कर बैठा
दर्द न देखा गया यार से
मुझको जिला-वतन कर बैठा
जाने किस सुख की चाहत में
मैं आनंद हवन कर बैठा
- आनंद