बुधवार, 29 अप्रैल 2015

मेरा साक़ी कहाँ

मेरा साक़ी कहाँ, शराब कहाँ
मेरे हिस्से का माहताब कहाँ

जो मिरी कब्र तक पहुँचने थे
हाथ वो कौन हैं, ग़ुलाब कहाँ

कोई उम्मीद क्यों नहीं ठहरी
भाग पलकों से गए ख़्वाब कहाँ

ज़िंदगी प्रश्न-पत्र  है गरचे
मैं कहाँ हूँ, मेरे जवाब कहाँ

सबपे अपनी लड़ाइयाँ भारी
ऐसे मंज़र में इंकलाब कहाँ

ये सभी शहसवार गिरने हैं
इनके पैरों तले रक़ाब कहाँ

वो मुझे देख कर न देखेगा
उसके जैसा मैं कामयाब कहाँ

इन दिनों गलतियाँ नहीं करता
अब वो 'आनंद' लाज़वाब कहाँ

- आनंद