बुधवार, 25 जुलाई 2012

बदलाव चाहते हैं तो बदलाव कीजिये




काबा भी  खूब जाइए  काशी भी जाइए
पहले दिलों में प्यार के दीपक जलाइए

आँखों को नम न कीजिये यूँ बात बात पर 

दुनिया के ग़म भी देखिये  कुछ मुस्कराइए

फौरन से पेश्तर सुकून दिल को मिलेगा
बच्चों के साथ खेलिए उनको हंसाइये

महफ़िल में दिल का दर्द बयाँ कर चुकें हों तो
फ़ाका-क़शों  की बात भी थोड़ी चलाइये

सत्संग से मिलाद से  कुछ वक़्त बचे  तो
दो पल की किसी गरीब का बच्चा पढ़ाइये

बदलाव  चाहते  हैं  तो  बदलाव  कीजिये
नाहक न यहाँ मुल्क की कमियां गिनाइये

'आनंद' वहीं है  जहाँ दुनिया में  दर्द है
अपने को इस तरह से सभी का बनाइये

- आनंद
२५-०७-२०१२