बुधवार, 29 दिसंबर 2010

प्यार क्या करूँ ?


मैं भूख से बेहाल, तेरा प्यार क्या करूँ
घर में नही है 'दाल', तेरा प्यार क्या करूँ

ये जिंदगी है यारों कब किसको बख्सती है
मैं हो रहा हलाल, तेरा प्यार क्या करूँ

आत्मा के बेंचने को, ग्राहक तलासता हूँ
मैं हो गया दलाल, तेरा प्यार क्या करूँ

आदर्श, भावनाएं, जज़्बात , सब रेहन हैं
केवल बची है खाल, तेरा प्यार क्या करूँ

कमबख्त भूख ने तो इन्सान खा लिया है
बस है यही मलाल, तेरा प्यार क्या करूँ

दुनिया की हर गणित से, वज़नी गणित हमारा
रोटी अहम् सवाल , तेरा प्यार क्या करूँ

'आनंद' बिक चुका है, कब का भरे चौराहे
अच्छा मिला है माल, तेरा प्यार क्या करूँ

3 टिप्‍पणियां:

  1. 'आनंद' बिक चुका है, कब का भरे चौराहे ,
    अच्छा मिला है 'माल', तेरा प्यार क्या करूँ?

    ye anand to aisa hi hai....kitna bhi bike sirf pyar hi to failata hai...:)

    gajab ki lekhni bhaiya...hats off...jahan meri soch khatm hoti hai...aap wahan se shuru hote ho...

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  2. तेरा की जगह तुझे कैसा रहेगा ./
    मंहगाई पर बेजोड़ कविता //
    पैसा नहीं तो प्यार झूठा ....
    यही सच को तो आपने बताया bhai

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  3. han bhai sansodhan to theek hai...bhavishya me badal bhi sakta hun.par abhi main 'pyar'pyar par kendrut hun...aur tab 'tujh' par kendrit ho jaunga...jo kavita ki mool bhavna ko mar dega...'tujh' par to bahut likhoonga abhi ye kewal pyar par.

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