कभी गुलज़ार होना चाहता हूँ
कभी बेज़ार होना चाहता हूँ
हिमाक़त चाहतों की देखिये तो
मैं खुदमुख़्तार होना चाहता हूँ
न मुझसे इश्क़ की रस्में निभेंगी
मैं इज़्ज़तदार होना चाहता हूँ
ज़माना है बड़ी उपयोगिता का
मगर बेकार होना चाहता हूँ
अगरचे तुम कोई ग़ुल हो चमन का
उसी का ख़ार होना चाहता हूँ
कोई भी नाव हो केवट कोई हो
मैं दरिया पार होना चाहता हूँ
है जीवन एक लंबी सी कहानी
मैं उपसंहार होना चाहता हूँ
मैं किनसे हूँ मुख़ातिब और क्यों हूँ
मैं क्यों अख़बार होना चाहता हूँ
कभी 'आनंद' की गलियों में आओ
मैं बंदनवार होना चाहता हूँ !
© आनंद
वाह ! बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, गणतंत्र दिवस समारोह का समापन - 'बीटिंग द रिट्रीट'“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं"ज़माना है बड़ी उपयोगिता का
जवाब देंहटाएंमगर बेकार होना चाहता हूँ...."
गज़ब के ख्याल हुए हैं.....
किसी की याद में बस कर उसी को...
यहाँ मैं भूल जाना चाहती हूँ...! ***पूनम***
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जवाब देंहटाएंHindi Book Publisher India