शनिवार, 29 जून 2013

गली गली मंदिर मस्जिद हैं

गली गली मंदिर मस्जिद हैं  गली गली मैख़ाने हैं
फिर भी कितनी तन्हाई है फिर भी दिल वीराने हैं

तेरा शहर भला है हमको, रुसवाई तो मिलती है
मेरी नगरी की मत पूछो, अपने भी बेगाने हैं

दिल भी और ज़ख्म मांगे है हम भी खाली खाली हैं
आँसू, ख़ामोशी, बेचैनी, ये सब  तो पहचाने हैं

फिर इक बार मिलें तो जानें दुनिया कितनी बदली है
वरना तेरे पत्थर दिल के  किस्से ही तो गाने हैं

क्या होता है दिलवालों को क्या से क्या हो जाते हैं
क्यों दिल में आकर बसते हैं जब दुश्मन हो जाने हैं

यारों के अहसान बहुत हैं, इस छोटे से जीवन पर
कुछ का जीकर कुछ का मरकर, सारे कर्ज चुकाने हैं

- आनंद





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