शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

मैं यही सोंचकर बाज़ार तक आ पहुंचा हूँ







बदगुमानी है, या ऐतबार तक आ पहुंचा हूँ,
जो भी हो आपके दरबार  तक आ पहुंचा हूँ

आज भी, उसको खिलौने पसंद हों शायद 
मैं यही सोंचकर बाज़ार तक आ पहुंचा हूँ 

जिसको देखो वो यहाँ  बेखुदी में लगता है  
मैं भी शायद दरे-सरकार तक आ पहुंचा हूँ 

मुझको मांझी का पता था न खबर मौजों की 
हौसला देखिये, मझधार  तक आ पहुंचा हूँ

मैं उसे खोजने  निकला था सितारों कि तरफ
खोजता खोजता संसार तक आ पहुंचा हूँ 

जबसे 'आनंद' के  हालात  नज़र से देखे
दिल्लगी!  मैं  तेरे इंकार तक आ पहुंचा हूँ

-आनंद द्विवेदी १२-०१-२०१२ 

22 टिप्‍पणियां:

  1. मुझको मांझी का पता था न खबर मौजों की
    हौसला देखिये, मझधार तक आ पहुंचा हूँ

    बहुत खुबसूरत , बधाई

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  2. मुझको मांझी का पता था न खबर मौजों की

    हौसला देखिये, मझधार तक आ पहुंचा हूँ....सही जा रहे हैं ,आनंद जी.पार उतर ही जायेंगे .

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  3. आज भी, उसको, खिलौने पसंद हों शायद
    मैं यही सोंचकर बाज़ार तक आ पहुंचा हूँ ... sabkuch to hai is aane me

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  4. मुझको मांझी का पता था न खबर मौजों की
    हौसला देखिये, मझधार तक आ पहुंचा हूँ.bahut badhiyaa.

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  5. बहुत खुबसूरत , बधाई..मेरी नई पोस्ट में आप का इंतजार है...

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  6. हमेशा की तरह एक और अच्छी रचना...

    "बदगुमानी है, या ऐतबार तक आ पहुंचा हूँ,
    जो भी हो आपके दरबार तक आ पहुंचा हूँ"

    कभी-कभी बदगुमानी में भी एतबार हो जाता है....
    ईश्वर आपका एतबार बना कर रखे...
    अब दरबार कोई भी हो सकता है !

    "मैं उसे खोजने निकला था सितारों कि तरफ
    खोजता खोजता संसार तक आ पहुंचा हूँ "

    माशाल्लाह.....
    सितारों को आसमान में ही रहने दें..
    कुछ लोगों की खोज संसार में ही पूरी होती है...!!

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  7. हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
    कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

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  8. "मैं उसे खोजने निकला था सितारों कि तरफ
    खोजता खोजता संसार तक आ पहुंचा हूँ "

    बहुत खूब ...

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  9. वाह बहुत सुंदर ग़ज़ल !
    खूबसूरत एहसासों को खुद में समेटे हुए !
    बहुत आभार !

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  10. मैं उसे खोजने निकला था सितारों कि तरफ
    खोजता खोजता संसार तक आ पहुंचा हूँ

    वाह,
    बहुत सुन्दर ..

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  11. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...समय मिले आपको तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://aapki-pasand.blogspot.com/
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  12. बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!

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  13. ग़ज़ल दिल को छू गई।
    बेहद पसंद आई।

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  14. एक सपनो की दुनिया अलग से बसा ली है हमने,सबसे जुदा होकर
    जब खुद को देखने का मन हुआ ,तो अपना साया भी बेगाना निकला |

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  15. मैं उसे खोजने निकला था सितारों कि तरफ
    खोजता खोजता संसार तक आ पहुंचा हूँ

    bahut hi gahra sher kaha hai! umda ghazal

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  16. मुझको मांझी का पता था न खबर मौजों की
    हौसला देखिये, मझधार तक आ पहुंचा हूँ ...

    हर शेर दिल को छूता है ... दाद कबूल करें मेरी ....

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  17. मुझको मांझी का पता था न खबर मौजों की
    हौसला देखिये, मझधार तक आ पहुंचा हू

    हर एक शेर हरदिलजीज़ है. गज़ल दिल को छू जाती है. शुभकामनाएँ.

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  18. बहुत सुंदर ! हर पंक्ति अपने में गहरा अर्थ छिपाए है, आभार!

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