उसका यूँ मुझको तड़पाना क्या क्या रंग दिखायेगा
दिल पर जादू सा कर जाना क्या क्या रंग दिखायेगा
इन आँखों में तू ही तू है, कैसे और ख़्वाब पालूं
ऐसी आँखों को छलकाना क्या क्या रंग दिखायेगा
तुझको खुदा बनाकर मैंने सब कुछ तेरे नाम किया
क़ातिल का मुंसिफ हो जाना क्या क्या रंग दिखायेगा
तेरा आना ना-मुमकिन हो तो अपनी यादों से कह
यूँ फागुन में आना जाना क्या क्या रंग दिखायेगा
कहते थे ऐसे मत देखो, मुझको कुछ हो जाता है
अब उनका ही नज़र चुराना क्या क्या रंग दिखायेगा
पता नहीं 'आनंद' कहाँ है खुद में है या दुनिया में
उसका यूँ फक्कड़ हो जाना क्या क्या रंग दिखायेगा
-आनंद द्विवेदी
०६ फरवरी २०१२
वाह!!
जवाब देंहटाएंकहते थे ऐसे मत देखो, मुझको कुछ हो जाता है
अब उनका ही नज़र चुराना क्या क्या रंग दिखायेगा
बहुत सुन्दर.....
थैंक्स विद्या जी.
हटाएंपता नहीं 'आनंद' कहाँ है खुद में है या दुनिया में
जवाब देंहटाएंउसका यूँ फक्कड़ हो जाना क्या क्या रंग दिखायेगा ...क्या बात है .? आनंद जी ..हम भी पूछते हैं ..? कहाँ है आप ??? बहुत बढि़या...
दीदी दुनिया में था खुद कि ओर चल पड़ा हूँ ..अभी न इधर का हूँ न उधर का खुद तक पहुंचा नहीं और दुनिया का रहा नहीं अब !!
हटाएं"इन बातों से दम घुटता है अब तो कुछ और बात करो
जवाब देंहटाएंदिन में ही रातों का होना क्या क्या रंग दिखायेगा......"
जिंदगी के रंग कई रे.......
एक ये रंग और सही......!!
तेरा आना ना-मुमकिन हो तो अपनी यादों से कह
हटाएंयूँ फागुन में आना जाना क्या क्या रंग दिखायेगा
Wah!
Comment box nahee khul raha isliye yahan likh rahee hun....kshama chahtee hun!
@ पूनम जी जिन्हें प्रेम से दम घुटता है अच्छा है कि उनका दम घुट ही जाए !
हटाएं.....
@क्षमा जी
आभार !
आज भी .............
जवाब देंहटाएंदिल की रग रग में हैं बेताब मोहब्बत उसकी ,
आँख के पर्दे पे लहराती हैं सूरत उसकी ||
आज भी कल भी और हमेशा ..मैंने कोई चादर नहीं ओढ़ रखी थी कि उतर कर फेंक दूँ ....और कूद ही जबाब भी दे दिया अंजू जी आपने "दिल की रग रग में हैं बेताब मोहब्बत उसकी"
हटाएंतेरा आना ना-मुमकिन हो तो अपनी यादों से कह
जवाब देंहटाएंयूँ फागुन में आना जाना क्या क्या रंग दिखायेगा
bahut sunder shayari ...
आशीष आपका !
हटाएंबहुत बढि़या...
जवाब देंहटाएंथैंक्स अरुण जी !
हटाएंवाह क्या बात है. हर शेर के लिए दाद कुबूल करें.
जवाब देंहटाएंचंद्रा साहब शुक्रिया !
हटाएंबहुत खूब आदरणीय आनंद भाई... सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
कहते थे ऐसे मत देखो, मुझको कुछ हो जाता है
हटाएंअब उनका ही नज़र चुराना क्या क्या रंग दिखायेगा ..
वाह आनंद भाई ... लगी रहिये ...
@ हबीब भाई ....शुक्रिया मिश्रा जी !
हटाएं@ पाण्डेय जी ..देखिये जरा संभल के पाण्डेय जी !
भावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........
जवाब देंहटाएंतुझको खुदा बनाकर मैंने सब कुछ तेरे नाम किया
जवाब देंहटाएंक़ातिल का मुंसिफ हो जाना क्या क्या रंग दिखायेगा
kamaal hai...
वाह !!! बहुत बढ़िया ...समय मिले कभी तो ज़रूर आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
"इन बातों से दम घुटता है अब तो कुछ और बात करो
जवाब देंहटाएंदिन में ही रातों का होना क्या क्या रंग दिखायेगा......"बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
अरे सुषमा जी.....
हटाएंआनंद जी की 'गज़ल' पर गौर फरमाएं....
मेरी प्रतिक्रिया पर नहीं.......
प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया ही होती है...उसमें वो खुशबू कहाँ...??
वैसे मुझे अच्छा लगा..... !!
क्या बात....क्या बात...बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंदेखिये अब क्या-क्या रंग दिखाता है बसंत... जीवन का एक रंग यह भी है... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संध्या जी !!
हटाएंउसका यूँ मुझको तड़पाना क्या क्या रंग दिखायेगा
जवाब देंहटाएंदिल पर जादू सा कर जाना क्या क्या रंग दिखायेगा
आपको पढना सुखद है आनंद भैया !
बहुत प्यारे दिल के मालिक हो ...शुभकामनायें !