जो खुद गुलाब है वो हमें क्या गुलाब दें
इतने हैं लाज़बाब, कि अब क्या जबाब दें
मुझको हर एक रस्म निभाने का शौक था
कैसे हुए खराब, कि अब क्या जबाब दें
अहसास की बातों को अहसास ही रहने दें
मत पूछिए जनाब, कि अब क्या जबाब दें
वो तो कमाल थे ही हम भी कमाल निकले
कैसे कटी शबाब, कि हम क्या जबाब दें
कितनी मिली मोहब्बत औ कितना दर्द पाया
मत पूछिए हिसाब, कि अब क्या जबाब दें
यूँ तो हज़ार चेहरे 'आनंद' झांक आया
सब पर मिली नकाब, कि अब क्या जबाब दें
-आनंद द्विवेदी
७ फरवरी २०१२
कितनी मिली मोहब्बत औ कितना दर्द पाया
जवाब देंहटाएंमत पूछिए हिसाब, कि अब क्या जबाब दें
यूँ तो हज़ार चेहरे 'आनंद' झांक आया
सब पर मिली नकाब, कि अब क्या जबाब दें
अब नकाब उठाइये.....
और हुज़ूर का जलवा देखिये.....
Kya baat hai!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया क्षमा जी !
हटाएंbahut khoob, behtareen
जवाब देंहटाएंथैंक्स प्रकाश जी !
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंकृपया ये पोस्ट आत्माओं के लिए नहीं है :)
हटाएंकितनी मिली मोहब्बत औ कितना दर्द पाया
जवाब देंहटाएंमत पूछिए हिसाब, कि अब क्या जबाब दें...
हिसाब किताब रखना भी नहीं चाहिए.गज़ल के कुछ शेर वाकई बहुत अच्छे बन पड़े हैं
कौन हिसाब किताब रखता है निधि ... मस्त राम हूँ मैं !!
हटाएंहम खुद गुलाब है किसी को क्या गुलाब दें
जवाब देंहटाएंइतने हैं लाज़बाब, कि अब क्या जबाब दें
लाज़बाब...
शुक्रिया संध्या जी !
हटाएंवाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंथैंक्स सदा जी !
हटाएंsundar rachna..
जवाब देंहटाएंथैंक्स शाद जी !
हटाएंवाह !!! क्या बात है, आनंद जी बहुत ही शानदार प्रस्तुति मज़ा आगया पढ़कर आभार
जवाब देंहटाएंमुझको हर एक रस्म निभाने का शौक था
जवाब देंहटाएंकैसे हुए खराब, कि अब क्या जबाब दें ...
बहुत खूब आनंद जी ... लाजवाब शेर है इस अबर्दस्त गज़ल का ... क्या बात है ..
शुक्रिया प्रेम जी जैसे ही समय मिलता है आता हूँ ..और फिर क्या नया क्या पुराना सभी पढ़ता हूँ आकार.
जवाब देंहटाएंकितनी मिली मोहब्बत औ कितना दर्द पाया
जवाब देंहटाएंमत पूछिए हिसाब, कि अब क्या जबाब दें
यूँ तो हज़ार चेहरे 'आनंद' झांक आया
सब पर मिली नकाब, कि अब क्या जबाब दें
जनाब...मोहब्बत और दर्द का हिसाब किताब छोड़िये !
कैसे पलटें उनका नकाब.....आप तो बस यही सोचिये !!
जनाब...मोहब्बत और दर्द का हिसाब किताब छोड़िये
जवाब देंहटाएंकैसे पलटें उनका नकाब.....आप तो बस यही सोचिये
शुक्रिया पूनम जी !
हटाएंमुझको हर एक रस्म निभाने का शौक था
जवाब देंहटाएंकैसे हुए खराब, कि अब क्या जबाब दें
बहुत सुंदर आनंद !
सौम्यता का जवाब नहीं , इस बेहतरीन रचना के लिए आभार भैया !
सतीश भाई जी आपके आशीर्वाद और प्यार का भी जबाब कहाँ है ! आभार !!
हटाएंबढ़िया है भाई बढ़िया.
जवाब देंहटाएंआभार कुंवर जी !
हटाएंवाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दीदी !
हटाएंलाजवाब!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जनाब !
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