सोमवार, 4 अगस्त 2014

तेरा होना

दुनिया के सारे अभावों
सारी कमियों पर भारी पड़ता है
एक तेरा होना
तेरा होना हूबहू तो नहीं पर
कुछ कुछ वैसा ही है
जैसे एक सैनिक ने पहन रखा हो कवच
और ले रखी हो ढाल जीवन की सबसे कठिन लड़ाई में,
जैसे भाई की बीमारी की ख़बर सुन
झट से आ गया हो
परदेश गया भाई,
जैसे निराशा भरे समय में चुपचाप रख दे
कोई दोस्त कंधे पर अपना हाथ,
जैसे पिता के होते बच्चों के जीवन में बनी रहे
एक अनजान लापरवाही,

तेरा होना कुछ कुछ वैसा ही है
जैसे सरहद पर किसी फौजी को मिल जाए
घर से आई चिट्ठी,
जैसे जेठ की किसी बेहद गर्म शाम में
हल्के हल्के झोकों से चल पड़े पुरवाई,
जैसे हवनकुंड हो जाये यह सारी देह
दूर तक हवा की दिशा में जाए
गूगर धूप और चंदन के जलने की महक,
जैसे जीवन की राहों पर मिल जाए
अपना मनचाहा साथ,
जैसे तारों भरी आधी रात में
नाच उठे कोई फ़कीर,

असल में तेरा होना
कुछ कुछ वैसा ही है
जैसे मुकम्मल हो जायें
जीवन के लाखों आधे अधूरे ख्वाब !

- आनंद