हाइकु
एक संक्षिप परिचय :- हाइकु मूलतः जापान की काव्य विधा है जिसमे आज कई देशों में कवितायें लिखी जा रही हैं | इसमें सत्रह अक्षरों में कविता लिखनी होती है | पाँच अक्षर ऊपर की पंक्ति में .फिर सात अक्षर मध्य की पंक्ति में फिर पाँच अक्षर नीचे की पंक्ति में | पाई, मात्रा और आधे शब्दों की गणना नहीं होती है !
उदाहरण के लिए एक हाइकु देखिये
कृपानिधान [५]
भ्रष्टाचारियों पे भी [७]
सर संधान [५]
तो इस कला की मेरी सबसे पहिली कुछ हाइकु माधव को समर्पित !
_________________________________________________________________________________
एक संक्षिप परिचय :- हाइकु मूलतः जापान की काव्य विधा है जिसमे आज कई देशों में कवितायें लिखी जा रही हैं | इसमें सत्रह अक्षरों में कविता लिखनी होती है | पाँच अक्षर ऊपर की पंक्ति में .फिर सात अक्षर मध्य की पंक्ति में फिर पाँच अक्षर नीचे की पंक्ति में | पाई, मात्रा और आधे शब्दों की गणना नहीं होती है !
उदाहरण के लिए एक हाइकु देखिये
कृपानिधान [५]
भ्रष्टाचारियों पे भी [७]
सर संधान [५]
तो इस कला की मेरी सबसे पहिली कुछ हाइकु माधव को समर्पित !
_________________________________________________________________________________
कान्हा रे कान्हा
जब मैं बुलाऊं तो
तुम आ जाना
_________________________
द्वारिकाधीश
आपके चरणों में
है झुका शीश
__________________________
हे रणछोर
खींच ले दुनिया से
अपनी ओर
अपनी ओर
__________________________
मन मृदंग
यों बाजे, बजती है
यों बाजे, बजती है
जल तरंग
____________________________
____________________________
राधा री राधा
श्याम तो तुम्हारा है
अब क्या बाधा
______________________________
श्याम तो तुम्हारा है
अब क्या बाधा
______________________________
माधव मेरे
माया में न भरमा
हम हैं तेरे
______________________________
माया में न भरमा
हम हैं तेरे
______________________________
जीवन की डोर
तेरे ही हाँथों में है
अब ना छोड़
तेरे ही हाँथों में है
अब ना छोड़
_____________________________
कृपानिधान
भ्रष्टाचारियों पे भी
सर संधान
____________________________
कृपानिधान
भ्रष्टाचारियों पे भी
सर संधान
____________________________
तुझसे आस
अंदर भी कंस हैं
कर दे नाश
______________________________________________________________________________
- आनंद
२७-०८-२०१२
तुझसे आस
जवाब देंहटाएंअंदर भी कंस हैं
कर दे नाश...
कुछ ऐसा भीयययय
सच में तू
कर नही तो जनता
आती ही है
सादर
तुझसे आस
जवाब देंहटाएंअंदर भी कंस हैं
कर दे नाश...
कुछ ऐसा भी.....
सच में तू
कर नही तो जनता
आती ही है
सादर(एडिटेड)
sundar haaiku bhav bahan !
हटाएंहाइकु की समझ मुझे भी नहीं हैं ....मैं भी सीख रही हूँ
जवाब देंहटाएंपर पढ़ने और समझने में सभी हाइकु खूबसूरत हैं ..कृष्ण को समर्पित ...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमाधव संग
अंतस में बसाया
माधव रंग
प्रत्युत्तर देंहटाएं
didi bahut sundar hua hai aap wala haaiku
हटाएंबेहतरीन हाइकु
जवाब देंहटाएंहाइकू ..यह जो विधा है धीरे धीरे उसे समझना सीख रही हूँ.आपके ये सारे हाइकू पसंद आये.पहला और तीसरा मुझे सबसे अच्छे लगे .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हाइकू
जवाब देंहटाएंसादर
वाह .. आपका ये रंक भी लाजवाब है ... सभी हाइकू गहरे ...
जवाब देंहटाएंआनंद जी आपको यहाँ देख कर अच्छा लगा ........और हाइकू पढ़ कर आनंद आया ......पूनम
जवाब देंहटाएं