सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

डर लगता है

'टुकड़े-टुकड़े' नारों वालों, मॉबलिचिंग के पैरोकारों
मुझको दोनों के नारों से डर लगता डर लगता है

जिसको मौका मिला उसी ने जमकर अपना नाम कमाया
झूठै ओढ़ा झूठ बिछाया, झूठै खर्चा झूठ बचाया
अब ऐसे ठेकेदारों से डर लगता है डर लगता है

मुझको तेरा भय दिखलाकर तुमको मेरा भय दिखलाया
थी जो मेड़, बन गयी खाई फिर पक्की दीवार बनाया
हमे तुम्हारे तुम्हें हमारे व्यवहारों से डर लगता है

कपटसंधियाँ करने वाले जनगणमन का गान कर रहे
षडयंत्रो की रचना वाले संविधान का नाम जप रहे
मुझको इन रचनाकारों से डर लगता है डर लगता है !!

© आनंद