सोमवार, 9 मार्च 2020

Corona कोरोना वाली होली

कोरोना का रोना
ऊधौ कोरोना का रोना
इत से निकरी सुघर गोपिका उत से गोप सलोना
इतने में मोबाइल बज गयो फैला है कोरोना
खुद का मुँह छूने को रोकै कहै हाथ खुब धोना
ऊधौ कोरोना का रोना

गोप कहै सुनु सुमुखि सुलोचनि हमरी बात सुनो ना
ढेर न छेड़ूँगा मैं गोरी इक किस्सू दे दो ना
रोग दोख का डर सारो इस पिचकारी से धोना
ऊधौ कोरोना का रोना

इत फागुन का रंग चढ़ रह्यो उधर रोग का रोना
गोपी बरजै सुनो साँवरे हमको आज छुओ ना
सुना नहीं सरकार कह रही गज़ भर दूर रहो ना
ऊधौ कोरोना का रोना

© आनंद

रविवार, 1 मार्च 2020

शहर में चाँदमारी

हवा में गंध तारी हो गयी है
शहर में चाँदमारी हो गयी है

यही बोया था हमने जो उगा है ?
ये कैसी काश्तकारी हो गयी है

लहू को देख, खुश होने लगे हैं
ये क्या आदत हमारी हो गयी है

वो इन्सां था कि प्यादा, मर गया है
मगर कुर्सी खिलाड़ी हो गयी है

संपोले दूध पीकर डस रहे हैं
सियासत को बीमारी हो गयी है

गज़ब जस्टिफिकेशन हो रहे है
जुबाँ सब की कटारी हो गयी है

है अगला कौन सा घर कौन सा सर
अभी मर्दनशुमारी हो गयी है

यहाँ से देश की क्या राह होगी
हमारी जिम्मेदारी हो गयी है

अभी 'आनंद' का मौसम नहीं है
ख़ुशी पर रंज भारी हो गयी है ।

© आनंद