शनिवार, 15 जनवरी 2011

लोग उकता गए


सब्जबागों को अपने मन में सजाये रखिये,
लोग उकता गए, माहौल बनाये रखिये !

सच तो ये है कि खोखले हैं सभी आतिशदान,
रोशनी होगी ही कुछ, दिल को जलाये रखिये !

आज चौराहे  पर छाया है, गज़ब सन्नाटा ,
द्रोपदी लुट रही, सर अपना झुकाए रखिये !

आज हर चाँद, हमें दागदार लगता है,
पाप को पाक लिबासों में छिपाए रखिये!

बड़ों कि गन्दगी दौलत में छिप गयी यारों,
'वो' बड़े हैं, दुआ - सलाम बनाये रखिये !

बच्चियां, घर से निकलने मे सहम जाती हैं,
आप कहते हो, एहतराम बनाये रखिये ??

मत सुनो मत सुनो, 'आनंद' की बातें लेकिन,
यारों, इंसान को इंसान बनाये रखिये !!

    --आनन्द द्विवेदी १५-०१-२०११