मुझे होशियार लोगों को कभी ढोना नहीं आया
मुझे उनकी तरह बेशर्म भी होना नहीं आया
मैं यूँ ही घूमता था नाज़ से, उसकी मोहब्बत पर
मेरे हिस्से में उसके दिल का इक कोना नहीं आया
अगर सुनते न वो हालात मेरे, कितना अच्छा था
ज़माने भर का गम था, पर उन्हें रोना नहीं आया
ज़माने को बहुत ऐतराज़, है मेरे उसूलों पर
वो जैसा चाहता है, मुझसे वो होना नहीं आया
मैं अक्सर खिलखिलाता हूँ, मगर ये रंज अब भी है
मुझे 'आनंद' होना था ...मगर होना नहीं आया |
-आनंद द्विवेदी ०६/०४/२०११
नहीं हासिल हुई रौनक, तो उसकी कुछ वजह ये है
बहुत पाने की चाहत थी मगर खोना नहीं आया
मुझे 'आनंद' होना था ...मगर होना नहीं आया |
-आनंद द्विवेदी ०६/०४/२०११
अगर सुनते न वो हालात मेरे, कितना अच्छा था
जवाब देंहटाएंफ़साना दर्द का था, पर उन्हें रोना नहीं आया !
ज़माने को बहुत ऐतराज़ है, मेरे उसूलों पर,
वो जैसा चाहता है मुझसे वो होना नहीं आया !
Gazab dhaya hai!
Thanks Kshama ji !
जवाब देंहटाएंअगर सुनते न वो हालात मेरे, कितना अच्छा था
जवाब देंहटाएंफ़साना दर्द का था, पर उन्हें रोना नहीं आया !
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...।
नहीं हासिल हुई रौनक , तो उसकी कुछ वजह ये है
जवाब देंहटाएंबहुत पाने की चाहत थी मगर खोना नहीं आया !
बहुत ही बढ़िया पोस्ट है
बहुत बहुत धन्यवाद|
www.akashsingh307.blogspot.com
नेताओं की करतूत कितना सही कितना गलत - आकाश सिंह
जवाब देंहटाएंनहीं हासिल हुई रौनक , तो उसकी कुछ वजह ये है
जवाब देंहटाएंबहुत पाने की चाहत थी मगर खोना नहीं आया !
waah
मैं अक्सर खिलखिलाता हूँ मगर ये रंज अब भी है
जवाब देंहटाएंमुझे 'आनंद' होना था ...मगर होना नहीं आया
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वाह द्विवेदी जी ! बड़ी साफगोई से व्यक्त हो रही है आपकी रचना ...
उम्दा ग़ज़ल ....हर शेर बेहतरीन
आखिरी दो पंक्तियों ने मन मोह लिया.. वाह.. बहुत हे सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंमैं अक्सर खिलखिलाता हूँ, मगर ये रंज अब भी है,
मुझे 'आनंद' होना था ..मगर होना नहीं आया
अगर सुनते न वो हालात मेरे, कितना अच्छा था
जवाब देंहटाएंफ़साना दर्द का था, पर उन्हें रोना नहीं आया !...
बहुत खूबसूरत शेर....
बेहतरीन ग़ज़ल....
इतने सुन्दर तरीके से उत्साह वर्धन करने के लिए आप सभी का आभारी हूँ... पुनश्च धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंअगर सुनते न वो हालात मेरे, कितना अच्छा था
जवाब देंहटाएंफ़साना दर्द का था, पर उन्हें रोना नहीं आया !...
बहुत खूबसूरत शेर....
Anand Ji,
जवाब देंहटाएंSadhuwad!
Likhte rahein.
Shivendra
Johns Hopkins University,
Baltimore, MD,USA
इतनी सरलता, केवल ईमानदार और निश्छल लोगों में पायी जाती हैं आनंद भैया ! शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब ग़ज़ल !
जवाब देंहटाएंमैं यूँ ही घूमता था नाज़ से, उनकी मोहब्बत पर ,
जवाब देंहटाएंमेरे हिस्से में उनके दिल का इक कोना नहीं आया !
Great expression of pain experienced in LOVE !
मुझे आनंद होना था... मगर होना नहीं आया.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे!
मुझे 'आनंद' होना था ..मगर होना नहीं आया !!
जवाब देंहटाएंwah sir ji .. what a lovery thought ...
thanx a lot
बहुत बहुत शुक्रिया देवेश जी !
हटाएंआप सभी मित्रों के प्रति हार्दिक आभार !
जवाब देंहटाएंKisne keh diya ki aapko " Anand " hona nai aaya...
जवाब देंहटाएंAaapke anand ki wajah se to hum log bhi anandiit ho rahe hain...bahut accha likha hai anand ji
शुक्रिया आकांक्षा जी !
हटाएंनहीं हासिल हुई रौनक , तो उसकी कुछ वजह ये है
जवाब देंहटाएंबहुत पाने की चाहत थी मगर खोना नहीं आया !
कभी-कभी ..सब खो के भी कुछ हाथ ना आये तब क्या कीजे ???
अच्छी गज़ल !!
शुक्रिया निधि जी ...अभी कुछ बाकी है खोने के लिए ...शायद ये नाम भी उसे नहीं पसंद शायद ये वजूद भी उसे नहीं पसंद !!
हटाएंबहुत उम्दा एक एक शे,र बहुत गहरी बात कहता है...दर्द भरी गज़ल..
जवाब देंहटाएंनहीं हासिल हुई रौनक , तो उसकी कुछ वजह ये है
जवाब देंहटाएंबहुत पाने की चाहत थी मगर खोना नहीं आया !
बस इतनी ही सी तो बात है...!!
मुझे आनंद होना था......????
और अब हो भो जाइये.....!!!
और अब हो भी जाइये.....!!!
हटाएंनही हासिल हुई रौनक तो उसकी कुछ वजह ये है
जवाब देंहटाएंबहुत पाने की चाहत थी मगर खोना नही आया
क्या बात दिल को छू गई ये पंक्तियाँ